शुक्रवार, 11 अगस्त 2023
शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023
बुधवार, 8 जून 2022
सरकार की शह पर शराब का कारोबार
माननीय मुख्यमंत्रीजी(राजस्थान सरकार),
विषय-राजस्थान में शराब बंदी के क्रम में-
हमने इससे पूर्व भी कई बार आपको एवं इससे पूर्व माननीय मुख्यमंत्री वसुन्धराजी को भी हमारे संपादकीय के माध्यम से समय-समय पर आगाह करते आ रहे हैं कि शराब ऐसा मादक पदार्थ है कि जिससे बनी बनाई गृहस्थी उजड़ती जा रही है। इसकी सबसे ज्यादा मार गृहणियों को ही भुगतनी पड़ रही है। घर में अशांति छा जाती है। शराबी व्यक्ति आये दिन घर में कोहराम मचाता रहता है। पति के मानसिक असंतुलन के साथ-साथ उनके स्वयं का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे शराबी व्यक्ति को ना किराये से मकान मिल सकता है, और ना ही नौकरी। उनके बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। एकल परिवार पर इसकी मार बड़ी घातक होती है। वहाँ उन्हें कोई समझाने-बुझाने वाला भी नहीं होता है। या तो पत्नी को फाँसी के फंदे पर झूलना पड़ता है या पति को या पूरे परिवार को। क्योंकि आजीविका के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। कभी-कभी तो शराबी व्यक्ति अपने इस व्यसन के कारण कितना ही कर्ज सिर पर चढ़ा लेता है। ये केवल नैतिकता का ही विषय नहीं है, बल्कि महिला बाल-कल्याण से संबधित विषय भी है।
आज तो इस नशे के रोग ने उच्च जाति के वर्गों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। वे अपनी इज्जत बचाने के चक्कर में पुलिस के पास भी नहीं जा सकते, क्योंकि दूसरे ही दिन सरे आम समाचार पत्रों में अपने परिवार की इज्जत नीलाम हो जाती है। वे बेचारी आखिर फरियाद करे भी तो किससे करे? पुलिस वालों के भी हाथ बंधे हुए हैं। वे एक तरफ नशा मुक्ति अभियान चलाते हैं, दूसरी तरफ सरकारें शराब की दुकानों के लाटरी के नाम से आवंटन पर एक-एक शराब केन्द्रों से 1-1 करोड़ के लगभग अवैध धन इकट्ठा कर रही है। चाहे किसी का घर बार्बाद हो जाये, चाहे शराब के कारण कोई रोड़ एक्सीडेन्ट में मर जाये, सरकारें चुप्पी साधे हुए हैं। आपकी ही सरकार में ऐसे-ऐसे मंत्री हैं, जो शराब की वकालात करते देखे जाते रहे हैं। फिर जनता के प्रति आपकी संवेदना कैसी? ये वे ही मंत्री हो सकते हैं, जो स्वयं शराब के आदी हों, अन्यथा ऐसे वक्तव्य एक जनप्रतिनिधि के मुख से निकलना अस्वाभाविक हैं या हो सकता है कि वे आपको शराब के मामले में मतिभ्रम कर रहे हो। आपके पास बड़े-बड़े राजनायिक, बड़े-बड़े अफसर, एवं कई स्वयं सेवी संस्थाएँ हैं, जिनके माध्यम से भी आप जानकारी ले सकते हैं कि क्या शराब वाकई सही है? हम केवल यह पूछना चाह रहे हैं कि कोई भी माता-पिता अपने बच्चे को शराब पीने की प्रेरणा दे सकता है? या अन्य कोई मादक पदार्थ बच्चें के खाने-पीने से माता-पिता खुश हो सकते हैं? यदि नहीं तो फिर आप जैसे मुख्यमंत्री(राजा) पद पर विराजमान होकर जनता में अपनी छवि क्यों खराब कर रहे हैं? इससे अच्छा तो आपके समय में कोरोना काल ही था, तब चारों ओर पुलिस का पुख्ता बंदोबस्त था। नशे के कारोबार पर एकदम जाम लग गया था। कोई अपराधी इधर से उधर नहीं जा सकता था। शराब को तो छोडिय़े, बीड़ी-सिगरेट, जरदा तंबाकू गुटका तक मिलना बंद हो चुका था। यदि कोई चोरी-छिपे लाकर मंहगे दाम पर भी बेचता हुआ दिखाई देता तो उस पर छापा पडऩा निश्चित था। हम यह नहीं कहते कि पुन: कोरोना काल की स्थिति बने, परंतु इस नशे के कारेबार पर अंकुश लगाना लाजिमी है।
ऐसा भी नहीं कि अन्य राज्यों में प्रतिबंध नहीं लगा हो। स्वयं प्रधानमंत्री मोदीजी के गृहराज्य गुजरात में सर्वप्रथम प्रतिबंध लगा है, इसके साथ ही नागालैंड, मिजोरम एवं बिहार जैसे राज्यों में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है। महाराष्ट्र के वर्धा जिले में महात्मा गाँधी की कर्म भूमि होने के कारण बहुत समय से शराब प्रतिबंधित है। हाल ही बिहार में नितीश सरकार ने कहा है कि कोई भी परिजन शराबी व्यक्ति की सूचना मुहैया करावे, हम उससे जाँच-पड़ताल कर जहाँ से शराब की बिक्री हो रही है, वहाँ छापे मारकर उस गिरोह का पर्दापाश करेंगे। ऐसा भी नहीं है कि जिन राज्यों में शराब पर प्रतिबंध लगा हुआ है, उस राज्य की स्थिति आर्थिक रूप से डाँवाडोल हो रही हो। हम यह भी नहीं कह सकते कि वहाँ शराब की तस्करी न हो रही हो, पर कम से कम वहाँ परिजन उस शराबी व्यक्ति के बारे में शिकायत दर्ज करवा तो सकता है, क्योंकि वहाँ के कानून में शराब प्रतिबंधित हैं। पर राजस्थान में परिजन कहे तो किससे कहे, यहाँ तक सरकारें स्वयं ही शराब के प्रचलन से पैसा कमा रही है। धिक्कार है ऐसे अवैध कमाई पर।
एक तरफ आप 'मुख्यमंत्री निशुल्क दवाइयाँ उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्थान में शराब का प्रचार-प्रसार हो रहा है। आये दिन समाचार पत्रों में देखने को मिलता है कि शराब से राज्य को कितना राजस्व प्राप्त हुआ। यह तो स्पष्टत: जनता की हत्या है। जनता भले ही मरे, अपना क्या? आज स्थिति यह है कि एक-एक शराब की दुकानें पाँच-पाँच दुकानों के माध्यम से शराब की बिक्री कर रही है और वे बेचारे करे भी तो क्या करे? उन्होंने करोड़ों रुपये देकर दुकानों के ठेके छुड़ाये हैं। उन्हें अपनी रकम वसूलने के साथ कुछ कमाई भी अर्जित करनी है। आज शराब के कारण किसी की किडनी फेल हो रही है तो किसी का लीवर डेमेज हो रहा है, कोई पागलपन का शिकार हो रहा है तो किसी की पत्नी भग रही है। क्या आप भी ऐसा ही चाहते हैं?
एक जमाना था, जब गाँवों-कस्बे में शराब की इनी-गिनी ही दुकाने थी, वे भी मुहल्ले से दूर किसी ओट में, जहाँ सभ्य व्यक्ति तो जाने की हिमाकत ही नहीं कर पाता था। आज हर राजमार्ग पर, मुहल्ले के बीचों-बीच, विद्यालयों के समीप खुले में शराब बिक रही है, कोई प्रतिबंध नहीं है। उस रास्ते पर चलना औरतों के लिए दुश्वार हो गया है। छोटे-छोटे बच्चों के कोमल दिल पर ऐसी कुप्रथा की छाप छूटती जा रही है। ऐसा भी देखा गया है कि अक्सर चुनावों के समय इसकी बहुत बड़ी खेप रेवडिय़ों की भाँति वितरण की जाती रही है। यद्यपि चुनाव अधिकारियों की सतर्कता से कई बार ये गिरोह पकड़े भी जाते रहे हैं।
आपसे गुजारिश है कि अन्य राज्यों की भाँति राजस्थान में भी शराब पर पूर्ण पाबंदी लगाई जानी चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी की ऊर्जा को हम सही रास्ते पर लगा सकें। नशा कैसा ही हो, सभी मादक पदार्थ-जैसे भांग, गांजा, बीड़ी-सिगरेट, तंबाकू, गुटकें आदि ऐसे जानलेवा पदार्थ है, जिससे व्यक्ति अपना संतुलन खो देता है तथा यह कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों की चपेट में आ जाता है। यदि समय रहते हम इन व्यसनों पर पाबंदी नहीं लगा सकते तो केवल पछताने के सिवा कुछ भी नहीं बचेगा। आपके प्रति जनता का विश्वास कम होता जा रहा है, क्योंकि जनता के प्रति आपकी जवाबदेयी अधिक है। ऐसे मंत्री जो ऐसे व्यसनों के प्रति ज्यादा वकालात करते हैं, उन्हें तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए। अभी हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री ने मात्र एक प्रतिशत कमीशन खाने पर एक मंत्री को बर्खास्त कर जनता के प्रति 'आप' पार्टी लोकप्रियता में चार चांद लगा दिये थे। आप तो स्वयं एक जानेमाने राजनैतिक जादूगर रहे हैं, फिर इस काम में देरी क्यों? मैं तो यह कहूंगा कि नशे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर आबकारी विभाग को ही किसी अन्य विभाग में मर्ज कर दिया जाये, ताकि न रहे बाँस और न बजे बाँसुरी। ऐसी अवैध कमाई कल्याणकारी राज्यों के लिए उचित भी नहीं है।
हमें आशा है, आप जनता का मर्ज समझेंगे और शीघ्रतिशीघ्र शराब बंदी पर राज्य में एक कानून पास करवायेंगे, जिससे प्रेरणा पाकर अन्य राज्य भी आपका अनुकरण कर सकें और राजस्थान का नाम महिमा मंडित हो, साथ ही नीचे के पायदान पर खड़ी कांग्रेस की लोकप्रियता में कुछ अभिवृद्धि हो। हम मानते हैं कि आपकी वृद्ध व्यक्तियों के प्रति संवेदना रही है। माता-पिताओं के प्रति भी आपका दृष्टिकोण उदारवादी दिखता रहा है, पर शराब के कारण उन्हीं माता-पिताओं के सपने चकनाचूर हो रहे हैं, जिस पर आपका ध्यान अभी तक शायद नहीं पहुँच पा रहा है। यह मासिक पत्रिका आपके विभाग में भी पत्रिका के प्रारंभ से ही पहुँच रही है। हो सकता है आपको पढऩे का समय मिलता हो या नहीं, लेकिन ऐसे समाचार जो राज्यों एवं मुख्यमंत्री से संबंधित हो, आपके अफसरों द्वारा ध्यान में लाये जाने चाहिए। साथ ही प्रत्युत्तर में आपके द्वारा उन समाचार पत्रों को कुछ टिप्पणी भी भेजी जानी चाहिए, जिससे संवाद कायम हो सकें एवं पत्र-पत्रिकाओं का मनोबल बढ़ सकें। हो सकता है, शराब बंदी के उन्मूलन में कैसी भी बाधा हो, पर दृढ़ निश्चय के बल पर उस पर विजय पाई जा सकती है।
अपनी प्रतिक्रया अवश्य लिखें व दूसरों को भी शेयर करें। आपका अपना
महावीर प्रसाद शर्मा
(जून, 2022 के सम्पादकीय से)