हमारी कन्यायें समाज की अमानत है। हम हमारी कन्याओं का विवाह वैधानिक आयु 18 से 20 वर्ष में ही करेंगे ताकि समाज में हो रही अवांछनीय घटनाओं को रोका जा सकें तथा जिन कन्याओं का विवाह हो चुका है, उन्हें किसी भी विवाद की स्थिति में पीहर नहीं रोकेंगे। 2. हम हमारी कन्या को केवल आवश्यक वस्तु ही उपहार के रूप में देंगे, जो एक जनसाधारण व्यक्ति अपनी कन्या को दे सकता है। 3. समाज में अविश्वास के कारण आंटे-सांटे(अदला-बदली)प्रथा उभर रही है, इससे हम दूरी बनाये रखेंगे। 4. भ्रूण हत्या महापाप है। इससे हम भी बचेंगे और दूसरों को भी बचने की प्रेरणा देंगे। 5. जहाँ तक हो हम हमारे पुत्र-पुत्रियों की शादी सम्मेलन में ही रचायेंगे, जहाँ सादगी का परिचय मिलता है। समाज में ही शक्ति है, समाज के बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं है। हम सामाजिक संगठनों में आगे बढ़कर हिस्सा लेते हुए अपनी सहभागिता का परिचय देंगे। जहाँ तक हो हमारे वाद मिलबैठकर ही निपटायेंगे, कोर्ट में नहीं ले जायेंगे। 7. हम समाज के सामाजिक कार्यों में चुपचाप केवल जीमकर ही नहीं आयेंगे, बल्कि सबसे अपना मेलजोल बढ़ाते हुए अपना परिचय देंगे और सबका परिचय पूछेंगे। ।
जहाँ तक हो अपनी कन्यादान के साथ गोदान अवश्य करें, जिससे घर का चूल्हा एवं अपने परिवार को पौष्टिक आहार मिल सकें। यदि आपके पास गोमाता नहीं है तो किसी भी गोमाता को एक रोटी अवश्य दें। हमें तरस आता है, यंत्रीकरण के कारण आज गौवत्स आवारा घूम रहे है, ऐसा नहीं हो कि यह स्थिति हमारी भी हो जाये। रिटायर्ड कर्मचारीगण एवं कन्यायें बेरोजगार युवकों के हित में सरकारी एवं प्राईवेट नौकरियों से परहेज रखकर अपने संयुक्त परिवार में धर्म माता-पिता की सेवा करेंगे, ताकि आपके बच्चों को दादा-दादी से शकून-संस्कार मिलें व प्रसन्न रहे।
पैसे के लिए हम अधिक भाग दौड़ न करके अपने शरीर पर अधिक ध्यान देंगे-जैसे पर्याप्त नींद निकालना, प्रात:काल खालीपेट एवं सायंकाल भोजन करने के उपरांत न्यूनतम आधा-एक घंटा घूमना। प्रात:काल कुछ प्राणायाम, कसरत अवश्य करना। नियत समय पर सुपाच्य भोजन करना। जहाँ तक हो अंग्रेजी दवाइयों से बचना, क्योंकि इनमें रोकथाम कम और साइड इफेक्ट अधिक होता है। प्रात:काल अपने इष्ट प्रभु के लिए कुछ समय निकालने से कुछ टेन्शन फ्री होकर दिव्य शक्ति प्राप्त होती है।
महानगरों की भाँति बफर सिस्टम रखकर खड़े-खड़े भोजन नहीं करेंगे। प्लास्टिक पत्तलों का पूर्ण निषेध करते हुए वनस्पति से बने हुए दोनों पत्तल का उपयोग करेंगे। जहाँ तक हो पूर्ण सादगी से न्यूनतम मीनू केवल चार या पाँच आईटम ही रखेंगे। जैसे-चावल,चपाती, दाल-सब्जी, एक मिठाई यदि हो सके तो लपसी, राबड़ी, हरी पत्तेदार सब्जियाँ मिक्सी रोटियाँ, रायता आदि को ही ज्यादा तवज्जू देंगे। विभिन्न नशाओं से पूर्ण मुक्त रहेंगे। जैसे-बीड़ी, सिगरेट, जरदा, तंबाकू, गुटका, शराब आदि। चाय की भी मात्रा सीमित ही रखेंगे। जो इन लत का शिकार हैं, उनको भी हम हर संभव बाहर निकालने की कोशिश करेंगे।
देहावसान पर कम से कम एक घंटा शोक संतप्त परिवार के साथ रहकर उनका दु:ख दूर करें। श्मशान भूमि पर कृपया चाय-पानी, गुटका-तम्बाकू, बीङी-सिगरेट का उपयोग न करें। मोबाइल का स्विच ऑफ रखे। दिवंगत आत्मा के जीवन की अच्छी-अच्छी बातें ही करें। शान्ति बनाये रखें। भजन इत्यादि लय में गावें। मृतात्मा पर केवल खास एक रिश्तेदार के अलावा कोई वस्त्रादि न लाकर उस राशि को गौशाला में दान करें।
नोट:-श्मसान में कोई भी नये रिश्ते के बारे में चर्चा न करें। कई बार हमें ध्यान नहीं रहता है और हम बतला देते हैं कि इनका लङ़का या लङ़की विवाह योग्य है। ऐसे रिश्ते जल्दी ही टूट जाते हैं, क्योंकि रिश्तेदारियाँ की शुरुआत श्मसान यानि अशुद्ध जगह पर शुरू हुई थी।
धरती के लिए जहाँ तक हो रासायनिक खादों से बचते हुए जैविक खाद का उपयोग करेंगे। अपने किसी भी जन्मोत्सव पर एक पौधा हर वर्ष लगायेंगे। ताकि धरती विषमय न हो। ऊर्जा के लिए हा संभव सौलर ऊर्जा का ही प्रयोग करें। यह किसानों के लिए ही नहीं, सबके लिए हितकारी है।
समाज की प्रिय पत्रिका 'दाधीच सुबोधिनी' सुसंस्कारित पत्रिका है। इस पत्रिका को मंगाकर हम अपने घर की शोभा बढ़ायेंगे तथा अन्य स्वजनोंं को भी प्रेरित करेंगे। या हमेशा ऑनलाइन अपडेट देखते रहेंगे।
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