दधीचि जयंती पारा दिया सम्मान
श्री नारायण दाधीच को सिरोपाव बंधवा कर एवं ओपरना औढ़ा सम्मानित किया गया तथा अभिनंदन पत्र भेंट किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष श्री राजकुमार शर्मा श्री घनश्याम जी दाधीच, राधेश्याम जी भट्ट, रामप्रसाद तिवारी, कमला शंकर त्रिपाठी, प्रहलाद तिवारी, उपाध्यक्ष श्री राम प्रसाद शर्मा श्री विष्णु कान्त दायमा, धर्मेंद्र शर्मा, कमल शर्मा, योगेंद्र दाधीच, अनुराग दाधीच तथा श्री दाधीच महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती चित्रलेखा शर्मा, उपाध्यक्ष श्रीमती रेखा दायमा, कोषाध्यक्ष श्रीमती उषा तुलछिया, श्रीमती सरोज दाधीच, श्रीमती पूजा दाधीच, श्रीमती ज्ञान किरण दाधीच आदि उपस्थित थे। अभिनंदन पत्र का वाचन श्री नरेंद्र जोशी ने किया।
दधीचि जयंती के उपलक्ष में श्री दाधीच महिला मंडल, चित्तौडग़ढ़ की अध्यक्ष चित्रलेखा राजेंद्रशर्मा के यहां महर्षि दधीचि का पूजन और भजन हुआ। वरिष्ठ सलाहकार श्रीमती छुट्टनदेवी तिवारी, द्वारा दीप प्रज्ज्वलन किया गया। साथ ही राजराजेश्वरी भगवती माँ दधिमती माता का मंगल पाठ और भजन कीर्तन हुआ। उसके पश्चात आरती की गई और प्रसाद वितरण किया गया। इसमें श्री दाधीच महिला मंडल की सखियों ने बहुत ही उत्साह के साथ भाग लिया।
सादगी से आयोजित की गयी महर्षि दधीचि जयंती
जयपुर। त्यागमूर्ति महर्षि दधीचि की जयंती 26 अगस्त 2020, बुधवार को आयोजित की गई। श्री दाधीच समाज जयपुर के तत्वावधान में त्यागमूर्ति महर्षि दधीचि का पूजन और महाआरती प्रात: 8 से 9 बजे तक मंदिर श्री 11 रूद्र महादेव मंदिर, बड़ी चौपड़, जयपुर पर सोशियल डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए आयोजित हुआ। इस बार कोरोना महामारी के चलते इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण श्री दाधीच समाज जयपुर के फेसबुक पेज पर लाईव किया गया और सभी से इस पूजन को अपने अपने घरों पर करने का निवेदन किया गया। महर्षि दधीचि जयंती की पूर्व संध्या पर वृक्षारोपण का कार्यक्रम झालाना क्षेत्र में आयोजित हुआ। जिसमें कई छायादार और फलदार पौधे जैसे आंवला, करंज, शीशम आदि को रोपा गया।
इन कार्यक्रमों के दौरान श्री दाधीच समाज जयपुर के सुबोध दाधीच, विष्णु दाधीच, सुधीश दाधीच, मनीष शर्मा, बृजमोहन शर्मा, प्रदीप शर्मा, तेजप्रकाश, हर्षवर्धन दाधीच, राम दाधीच, नितेश शर्मा, पंकज आसोपा, अभिजीत दाधीच, सचिन राय दाधीच, विजय कुदाल, विकास शर्मा, आलोक शर्मा आदि सभी समाजबंधु उपस्थित थे। सभी समाजबन्धुओं ने बहुत ही उल्लास और सादगी से इस बार जयंती बनाई और सभी देशवासियों को महर्षि दधीचि के गुणों को अपने जीवन में उतारने का निवेदन किया गया। गौरतलब ह़ै कि महर्षि दधीचि ने अपने देहदान करके देवताओं की रक्षा की थी जो कि संसार का सर्वश्रेष्ठ दान है। सभी उपस्थित युवाओं ने लोगों में देहदान, अंगदान और नेत्रदान करवाने के लिए जागरूक अभियान चलाने का प्रण लिया। कार्यक्रम के अन्त में अध्यक्ष महोदय ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
रक्तदान शिविर का हुआ आयोजन
श्री दाधीच समाज जयपुर की ओर से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन लालकोठी स्थित प्रतिष्ठा ब्लड बैंक में आयोजित हुआ। इस कोरोना काल में आयोजकों ने प्रशासन के नियमों की पालना करते हुए और सोशियल डिस्टेंस की पालना करते हुए इस जनहित के कार्य को किया। रक्तदाताओं के उत्साहवर्धन हेतु उन्हें माला और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर सुबोध दाधीच, विष्णु दाधीच, प्रदीप शर्मा, सुधीश दाधीच, मनीष शर्मा, राम दाधीच, नितेश शर्मा, पंकज शर्मा, तेजप्रकाश शर्मा, विकास शर्मा, अभिजीत दाधीच, आलोक शर्मा, सचिन राय दाधीच, पवन दाधीच, हर्षवर्धन दाधीच, बृजमोहन शर्मा, विजय कुदाल और भाग्यश्री दाधीच ने रक्तदाताओं का हौसला बढ़ाया और समाज के हित में सराहनीय कार्य किया। इस कार्यक्रम के दौरान कार्यकारिणी के समस्त सदस्यों ने आगामी 26 अगस्त को प्रात: 8 से 9 बजे तक महर्षि दधीचि जयंती पर महर्षि दधीचि पूजन का वर्चुअल आयोजन किया जाना निश्चित किया, जिसका फेसबुक पेज से लाईव प्रसारण किया जायेगा। कार्यक्रम के अन्त में ब्लडबैंक के समस्त कर्मचारियों का शॉल और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
हम सभी ने मिलकर जयपुर में तीन कार्यक्रम किये हैं-
1. रक्तदान, 2. वृक्षारोपण, 3. महर्षि दधीचि पूजन
अष्ठम महर्षि दधीचि जयंती महोत्सव मिश्रित नैमिषारण्य
नैमिषारण्य(उ. प्र.)।-महर्षि दधीचि तपस्थली दधीचि तीर्थ मिश्रित में अष्टम जयंती महोत्सव मनाया गया। महर्षि दधीचि आश्रम के महंत श्री देवानंद गिरि ने पूजन कार्य संपन्न करवाया। सायंकाल दधीचि कुंड पर आकर्षक दीपोत्सव मनाया गया। कोरोना संक्रमण के चलते प्रतिवर्ष होने वाले दो दिवसीय कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था, किंतु महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट के साथी सीतापुर के अमित दाधीच परिवार ने अपनी उपस्थिति दी।
वर्ष 2013 में मिश्रित में पहली बार भगवान दधीचि जन्मोत्सव मनाया गया था। दाधीच सोशल ग्रुप इंदौर के नेतृत्व में एक यात्री दल जब यहां जयंती मनाने पहुंचा, तब तत्कालीन महंत ब्रह्मलीन देवदत्त गिरी जी ने इसे अभूतपूर्व बताया। द्वितीय जयंती वर्ष 2014 में परम पूज्य गोविंद देवगिरिजी का सानिध्य प्राप्त हुआ, जिसकी परिणीति 2018 में नैमिषारण्य में हनुमानगढ़ी में पहली बार दाधीच बंधुओं द्वारा 108 श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हुआ। इस आयोजन के कारण वर्षों से अज्ञात रहे दधीचि तीर्थ मिश्रित को आज देशभर के दाधीच बंधु जानने लगे हैं। महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट (रजि.) के अध्यक्ष श्री शंकरलाल शर्मा ने बताया कि पिछले 7 वर्षों से यहां दधीचि जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। प्रथम दिन मिश्रित नगर में शोभायात्रा निकाली जाती है। जिसमें नगर वासियों द्वारा दाधीच बंधुओं का भाव पूर्वक स्वागत सत्कार किया जाता है। रात्रि में भजन संध्या का आयोजन रहता है तथा दूसरे दिन सुबह से भगवान दधीचि का षोडशोपचार पूजन होता है। मंदिर प्रांगण में महर्षि द्वारा पूजित स्फटिक शिवलिंग का पूजन किया जाता है। हर वर्ष देशभर के सैकड़ों बंधु यहाँ दधीचि जयंती पर्व मनाने आते हैं। ट्रस्ट द्वारा यात्रियों के ठहरने आदि की व्यवस्था की जाती है। इस बार उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों के पालन में सूक्ष्म कार्यक्रम रहा।
सचिव श्रीसांवरमल जोशी ने बताया कि इस बार महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट के सीतापुर वासी सक्रिय सदस्य श्री अमित दाधीच ने ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करते हुए उत्सव मनाया। श्री दधिचेश्वर महादेव मंदिर के पंडित श्री राहुल शास्त्री ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दधीचि कुंड पर आकर्षक साज-सज्जा की गई तथा सायंकाल महाआरती का आयोजन रहा। पूरा कुंड दीपज्योति से सजाया गया। पूरे आयोजन में दाधीच बंधुओं की कमी खली, किंतु भगवान दधीचि से प्रार्थना है कि अगले वर्ष फिर से आप सभी दुगुने उत्साह के साथ पधारें यही मिश्रित वासियों की आकांक्षा है। द्वारा-मनोज दाधीच (दाधीच दर्पण ) इंदौर (म. प्र.) मो. 9893534398
जब कुंज बनेगा अपना कपाल कुंड
गिलहरी प्रयास ने जगा दी बड़ी उम्मीद, पौधों के साथ पनप रही है सकारात्मक सोच
किसी भी कार्य के लिए चाहे वो सृजन हो, पालन हो या हनन ही क्यों न हो, दो तरह की ऊर्जा की आवश्यकता होती है, सकारात्मक और नकारात्मक। देह नकारात्मक है, आत्मा सकारात्मक है। जब हर तरफ नकारात्मक और निराशा का वातावरण हो तो फिर जीने की एक ही राह बचती है और वो है सकारात्मक सोच। कहते हैं कि अंधकार कितना भी गहरा हो, एक बाती उस पर भारी पड़ती है। हमारे समाज मे भी पिछले कुछ समय से निराशा के अंधकार में उम्मीद की लौ जगाने गिलहरी योजना नाम की एक बाती को प्रज्ज्वलित किया गया था, जिसने बड़ी उम्मीद जगा दी। गिलहरी योजना के प्रथम प्रकल्प एक पेड़ माँ के नाम ने धरातल पर उतरे मात्र एक वर्ष में ही उत्साह का संचार कर दिया। नव पल्लवित पौधों की हरीतिमा अभी से यह आभास कराने लगी है, जैसे कुछ वर्षों में ही अपना कपाल कुंड परिक्षेत्र ऐसा कुंज बन कर भरेगा, जहाँ विशुद्ध प्राण वायु का संचार करते पेड़ो की घनी छांव में न केवल जीव.जंतुए बल्कि पशु-पक्षी और इंसान भी ऐसे सुरम्य वातावरण में फुर्सत के पलों में सुस्ताते नजर आएंगे।
बात जुलाई 2019 की है। सोशल मीडिया पर आपस की जंग, आरोप-प्रत्यारोप, मनभेद में बदल रहे मतभेद और हर तरफ निराशा के माहौल में मन विचलित था। बार-बार एक ही अनुत्तरित सवाल कचोट रहा था कि क्या नकारात्मकता के बादल कभी छंटेंगे कि नहीं? क्या कभी उम्मीद की सुप्रभात भी होगी? मैं समाज का एक अदना सा सिपाही और सवाल बड़े। क्या करें, कैसे सम्भव होगा? क्या हम साधारण से लोग भी कुछ कर सकते हैं? करने के लिए कुछ सोचे तो क्या समाज के बड़े लोगों का आशीर्वाद मिलेगा कि नहीं? न जाने कैसे-कैसे सवालों से घिरा व्याकुल मन उसी निराशा की और दौड़ रहा था, जहाँ दूर-दूर तक अंधकार के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था। इसी बीच एक दिन न जाने कहां से विचलित मन में अचानक उत्साह का संचार हुवा जैसे कोई राह मिल गई हो। दैहिक रूप से सूरत में निज निवास के एक कोने में चेयर पर था और मैं पहुंच गया जगतजननी तारणहार माँ दधिमती के चरणों में। इसे चमत्कार भी मान सकते हैं, मानने वाले इत्तफाक या संयोग भी मान सकते हैं। यह मैं आप पर छोड़ता हूँ। लेकिन जैसे ही मानसिक रूप से मैंने माँ का सानिध्य प्राप्त किया, मेरे मन मे मंडरा रहे निराशा के बादल बिल्कुल साफ हो चुके थे। लगा जैसे माँ मुझे दुलार भी रही है और उलाहना भी दे रही है। बोल रही है कि तुमने यह सोच भी कैसे लिया कि हर तरफ नकारात्मकता बिखरी है। उठ और खड़ा हो, अपना नजरिया तो बदल, फिर देख सकरात्मक सोच वाले इंतजार में खड़े हैं। कुछ ऐसी ही अनुभूति हुई और मुझे राह मिल गई। मैने पहला ही फोन किया दधीचि कुल में जन्मी, पली बढ़ी सुप्रीम कोर्ट की जानी मानी अधिवक्ता सुश्री अंजना शर्मा को। मैंने उनसे कहा कि मौसम अनुकूल है, चहुँओर वृक्षारोपन हो रहा है, क्यों न हम भी कुलदेवी के निजधाम गोठ मांगलोद में वृक्षारोपण अभियान चलाए। अंजना जी ने योजना पूरी भी नहीं सुनी और अपनी ओर से आठ पेड़ों की सहभागिता के साथ इसे श्रेष्ठ और नेक कार्य बता कर मेरा मनोबल दुगुना कर दिया। मातृशक्ति से मिली हरीझंडी को मैने माताजी की प्रेरणा माना। यकायक शब्द फूट पड़े और बोहनी हुई आठ की, बात बनेगी ठाठ की तुकबंदी जुबा पर आ गई। अब बारी थी सकारात्मक बन्धुवों की खोजबीन कर इस कार्य को धरातल पर उतारने की। आखिर उसी सोशल मीडिया को जरिया बनाया जहाँ से हर तरफ निराशा नजर आ रही थी। एक पेड़ माँ के नाम का एक सन्देश विभिन्न सामाजिक वाट्सएप ग्रुपों में वायरल कर दिया, जिसमें एक पेड़ की सहयोग राशि एक हजार रुपये मांगे गए। जैसे ही सन्देश समाज के लोगों तक पहुंचाए एक नए उत्साह का संचार हो गया। फोन और मैसेज के माध्यम से एकए दो, पांच पौधे खुद की ओर से लगाने की सहमति मिलती चली गई। हमारी विशेष जवाबदारी तो तब महसूस हुई, जब स्वजातीय बन्धुवों ने योजना को पूरी समझी भी नहीं, कोई शंका आशंका के बिना ही सीधे अकाउंट नम्बर मांगने लगे। मेरे अनुरोध पर सूरत प्रवासी श्री दिनेश जी शर्मा ने इस योजना का लेखा जोखा अपने पास रखने की सहमति के साथ खुद के अकाउंट नम्बर भी दिए। 100 पौधों का लक्ष्य रखा गया जो सवा सौ से ऊपर चला गया। इस योजना के मुख्य स्तम्भ नागौर निवासी श्री सन्तोष जी तिवाड़ी और श्री सरवन जी दाधीच की देखरेख में प्रथम चरण की तैयारी प्रारम्भ कर दी गई और 4 अगस्त 2019 को हम सभी ने मिल कर एक पेड़ माँ के नाम का श्रीगणेश कर दिया।
गिलहरी नाम क्यों
यह भी जानना जरूरी है कि इस योजना का नाम गिलहरी के साथ क्यों जोड़ा गया। दरअसल यह नाम नहीं, एक भाव है। निष्काम भाव की प्रेरणा उस गिलहरी ने दी जिसके योगदान से समुद्र पर बन रहे सेतु पर तो कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन उसने भगवान श्रीराम का दिल जीत लिया। हमारा उद्देश्य भी इस कार्य को माताजी की प्रेरणा और उन्हीं के आदेश से जगतजननी के सेवक बन पूरा करने का रहा। यही सोच कर इस कार्य का सुभारम्भ किया गया कि सफल होंगे तो यह माताजी का आशीर्वाद होगा, असफल रहे तो हम अपने ही गिरेबां में झांक कर देखेंगे कि जरूर हमारी सेवा में कोई कमी रही है। ऐसे ही भावों को धारण कर इस योजना का नाम गिलहरी योजना रख दिया गया। वृक्षारोपन को मिली सफलता इस बात का प्रमाण है कि गिलहरी भाव से किया गया कार्य की सफलता निश्चित है।
योजना के मुख्य स्तम्भ
इस योजना ने केवल सकारात्मक सोच वाले बन्धुवों की पहचान कराई, यह भी साबित कर दिया कि हम केवल वाट्सअप वीर ही नहीं है, सामाजिक कार्यो में धरातल पर भी अग्रिम पंक्ति में खड़े मिलते हैं। जैसे ही यह सन्देश सोशल मीडिया में वायरल हुवाए सबसे पहले सत्य की पड़ताल ग्रुप के एडमिन श्री सन्तोष जी तिवाड़ी और श्री सरवन जी दाधीच जैसे इंतजार ही कर रहे थे, उन्होंने तन, मन और धन के साथ जुड़ने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त ही नहीं किया, बल्कि तीन चरण पूरा होने तक लगन और मेहनत से इसे साबित भी किया। न केवल अपनी ओर से पौधों की स्वीकृति दीए बल्कि रोजाना सोशल मीडिया पर भरपूर प्रचार कर मौखिक रूप से भी सामाजिक बन्धुवों को इसके लिए प्रेरित किया। इतना ही नही, इन दोनों ने इस पूरी योजना को अपने कंधों पर ले लिया और तन, मन और धन के साथ समर्पित हो गए। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं कि आप दोनों गिलहरी योजना के हनुमान बने और हर तरह की व्यवस्था जुटा कर स्थानीय लोगों को भी जोड़ा। अब तक आप दोनों पौधों की निगरानी के लिए नागौर से 35 किलोमीटर दूर कितनी बार गए, शायद ये खुद भी नही बता पाएंगे। यह सकारात्मक सोच का परिणाम ही था कि यह भ्रम भी टूटा कि हम केवल वॉट्सप पर अंगुली चला कर केवल बातें ही करते हैं। सत्य की पड़ताल के दोनों एडमिनों ने इसे साबित किया कि केवल सोशल मीडिया पर ही नहीं, समाज की सेवा के लिए धरातल पर भी उतने ही सक्रिय हैं।
इनका भी सहयोग
प्रथम चरण की शुरुवात की गई तब पौधों की लागत बढ़ गई। जिस दिन यह योजना बनी, तब मुझे भी अनुभव नहीं था। एक हजार रुपये का सहयोग मांगा लेकिन लागत दुगुनी के करीब पहुंच गई। लेकिन एक हजार रुपये में दो साल तक पौधों के संरक्षण का वादा किया था, हम उसी पर कायम रहे कि बन्धुवों से और आर्थिक सहयोग नही मांगेंगे। लेकिन माताजी का ही आशीर्वाद रहा कि श्री अक्षय भक्त मंडल सूरत और दाधीच महिला सुंदरकांड मंडल सूरत की ओर से 50-50 ट्रीगार्ड की राशि का सहयोग मिल गया। इनके अलावा कइयों ने फोन कर मनोबल बढ़ाया कि पैसों की कोई भी चिंता मत करनाए धन के लिए यह कार्य रुकना नहीं चाहिए। वडोदरा निवासी श्री राधेश्याम जी ने हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया और सूरत प्रवासी श्री पुरुषोत्तम जी शर्मा ने तो 100 नही 500 पौधों का लक्ष्य रख कर उत्साह को और भी दुगुना कर दिया। मांगलोद में राजकीय स्कूल में कार्यरत शिक्षक नाथूलाल जी के अनुभव का काफी लाभ मिला। नाथूलाल जी और उनकी टीम के युवा साथियों के द्वारा व उनके निस्वार्थ सेवा भाव और लगन को हम नमन करते हैं। नाथूलाल जी व इनकी टीम ने हमें आश्वस्त किया कि आपके द्वारा लगाए जाने वाले सभी पौधों की सुरक्षा और सिंचाई का कार्य हम सब अपनी देखरेख में प्रमुखता से करेंगे। अतः इन सभी के निष्काम भाव के आगे मैं हमेशा नतमस्तक हो जाता हूं।
तीसरा चरण पूरा
एक पेड़ मां के नाम का तीसरा चरण 18 अगस्त को 33 पौधे लगा कर पूरा किया। इससे पहले दो चरणों मे 105 पौधे लगा दिए गए थे। कपाल कुंड के चारों ओर आज 138 पौधे मय ट्रीगार्ड के लग चुके हैं। सभी ट्रीगार्ड पर पेड़ प्रदाता दाधीच बन्धु का नाम लिखा है। कपाल कुंड की और किसी भी समाज का कोई व्यक्ति जाकर देखेगा तो वहां पौधों के साथ प्रवासी और स्थानीय दाधीच बन्धुवों के नाम हमारे समाज की सशक्त उपस्थिति का अहसास कराएंगे। यदि आपका कभी माताजी जाना हो तो अवश्य ही कपाल कुंड की ओर भ्रमण करें, आपको दूर-दूर तक ट्रीगार्ड ओर उनमें पौधे लहलहाते नजर आएंगे। पौधे भी शत प्रतिशत प्राण वायु देने वाले पीपल, नीम और बरगद के लगाए गए है। पहले ओर दूसरे चरण में कुछ पौधे डेमेज हो गए, उनको वापस बदल दिया गया है। भविष्य में और भी पौधे वहां लगाए जाएंगे। यदि माताजी की ऐसी ही कृपा रही तो अपना कपाल कुंड कुंज के रूप में विकसित होगा। हमे यह अब पूर्ण विश्वास है कि माताजी इस सपने को अवश्य साकार करेगी।
अंत मे
सकारात्मक सोच और निष्काम भाव से किया कार्य हमेशा सफल होता है। गिलहरी योजना इसकी एक मिसाल है। निराशावादी को हर अवसर में कठिनाई दिखाई देती है। एक आशावादी को हर कठिनाई में अवसर दिखाई देता है। इस योजना का प्रत्येक भागीदार आशावादी है। भरोसा इतना कि आज तक किसी ने हिसाब नही मंगाए उल्टा सामने से फोन और मैसेज आता है कि पैसों की ओर जरूरत हो तो निसंकोच बता देना। इस सोच ने हमारी जिम्मेदारी और बढ़ा दी। पाई.पाई का हिसाब समय.समय पर एक पेड़ मां के नाम ग्रुप में रखते रहते हैं। ख्वाहिशें भले ही पिद्दी सी हो, उसे पूरा करने के लिये मन जिद्दी सी होना चाहिए, फिर सफलता आपके चरण चूम लेती हैं। अंत में यही कहना चाहूंगा कि
मुश्किल नही है दुनिया में, तू जरा हिम्मत तो कर
ख्वाब बदलेंगे हकीकत में, तू जरा कोशिश तो कर
प्रस्तुति-महेश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) सूरत.गुजरात, सम्पर्क.9429333033
मीनाक्षी दाधीच (मीनूजी) बनी अखिल भारतीय दाहिमा दाधीच ब्राह्मण महासभा की महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष
नागौर-अखिल भारतीय दाहिमा दाधीच ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान लक्ष्मीनारायण जी दाधीच ने संविधान से मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए श्रीमती मीनाक्षी देवी दाधीच (मीनू) को महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नियुक्ति प्रदान की। इस अवसर पर अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण ने बताया कि हमारे महासभा के संविधान अनुसार महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बनाई जाती है। समाज में उपस्थित आधी आबादी के सर्वांगीण विकास हेतु महिलाओं के द्वारा समाज में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई जा सके, क्योंकि किसी भी समाज में महिलाओं की भागीदारी समाज के विकास और उत्थान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारे समाज में महिलाओं का सम्मान शुरू से ही होता आ रहा है। मैं आशा करता हूँ कि श्रीमती मीनाक्षी जी हमारे समाज में मातृशक्ति के हितों की रक्षा हेतु हमेशा तत्पर रहेगी और सहृयता से विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए समाज विकास के अन्य कार्यों में भी सबका साथ लेकर विकास के नये आयाम स्थापित करेंगे। इस अवसर पर समाज के गणमान्य नागरिकोए बड़े बुजुर्गों, युवाओं व समाज की महिलाओं ने भी इनकी नियुक्ति पर राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण दाधीच का आभार व्यक्त किया एवं साथ ही मीनाक्षी दाधीच को बधाइयाँ प्रेषित की। महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्षा मीनाक्षी देवी दाधीच ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए महिला प्रकोष्ठ से राष्ट्रीय सचिव के पद पर श्रीमती आशा देवी भाभडा डीडवाना से मनोनीत किया, साथ ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर श्रीमती प्रेरणा त्रिवेदी जोधपुर को मनोनीत किया गया एवं तेलंगाना प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर श्रीमती श्रीदेवी (राधा) को मनोनीत किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती मीनाक्षी ने बताया कि जो हमें जिम्मेदारी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लक्ष्मीनारायण जी ने दी है, हम उनका आभार व्यक्त करते हैं एवं साथ ही साथ ही विश्वास दिलाते हैं कि हम सभी समाज की महिलाओं एवं हमारी राष्ट्रीय संस्थाओं के हितों की रक्षा के लिए हम सभी महिलाएं तत्पर रहेंगी एवं समाज हित के कार्यों को बढ़.चढ़कर करने का प्रयास भी करेंगी।
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